Mahatma Gandhi को भारत में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व के लोग भी जानते हैं।
ये ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने आस्था के बल पर भारत को आजाद करा दिया। और जो स्थान पाकिस्तान में मोहम्मद अली जिन्ना का हैैै वही स्थान भारत में Mahatma gandhi का है अर्थात वे भारत के राष्ट्रपिता है।
गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 ई. को वर्तमान गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान में हुआ।
इनके पिताजी करमचंद गांधी पोरबंदर के दीवान थे। इनके माता का नाम पुतलीबाई तथा पत्नी का नाम कस्तूरबा गांधी था। अपनी प्रारंभिक शिक्षा भारत में ग्रहण करने के बाद गांधीजी लंदन में बैरिस्टर की शिक्षा ग्रहण किए थे।
बैरिस्टर बनने के बाद गांधीजी पहली बार दक्षिण अफ्रीका के डरबन शहर में गए थे। वहां एक गुजराती व्यापारी दादा अब्दुल्लाह की पैरवी करने गए थे। इस मुकदमा के पैरवी के क्रम में दक्षिण अफ्रीका जाने वाले पहले बैरिस्टर गांधीजी थे। दक्षिण अफ्रीका में मजदूर एवं व्यापारी रूप में उन दिनों लगभग 2-2.5 लाख भारतीय रहते थे। उन भारतीयों के साथ रंगभेद के आधार पर अत्याचार किया जा रहा था। इन अत्याचार का विरोध करने हेतु गांधीजी मेराल कांग्रेश नामक एक संगठन बनाया एक संगठन बनाया।
क्रांतिकारी मदन लाल ढींगरा का जीवन परिचय
1906 इस्वी में गांधी जी ने अपना पहला सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया। इसके खिलाफ में इस संगठन से जुड़े 155 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया और जेल में डाल दिया गया।
इसी बीच सरकार ने यह भी कानून बनाया कि वैसा विवाह जो ईसाई पद्धति से संपन्न नहीं हुआ है उसे अवैध माना जाएगा।
Mahatma gandhi जी ने दक्षिण अफ्रीका में सत्य और अहिंसा पर विजय प्राप्त किए। 9 जनवरी 1915 को भारत वापस आ गए।
अपने राजनीतिक गुरु कृष्ण गोखले के सलाह पर पूरे भारत का भ्रमण किया।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी जी के योगदान :-
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी जी का योगदान निश्चित रूप से महत्वपूर्ण है। महात्मा गांधी जी भारत आने से पूर्व दक्षिण अफ्रीका में स्वतंत्रता संग्राम के लिए सत्याग्रह के अहिंसात्मक शास्त्र का प्रयोग कर चुके थे।
गोखले के परामर्श पर गांधी जी ने 1 वर्ष तक भारत का भ्रमण किए, ताकि वह यहां की परिस्थितियों का ज्ञान प्राप्त कर सके।
सन 1917 ईस्वी में भारत में पहली बार सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर चम्पारण आंदोलन का नेतृत्व महात्मा गांधी जी ने किया।
चम्पारण आंदोलन:- 1917 ईस्वी में शुरू किया गया पहला आंदोलन था। चम्पारण उत्तरी बिहार के क्षेत्र मेंं पड़ता हैं। वहां के किसानोंं के साथ अंग्रेज 20 कट्ठा खेत में से 3 कट्ठा खेत में नील की खेती करने के लिए मजबूर करते थे। इस पद्धति को “तीन कठिया” पद्धति कहा जाता था।
अंग्रेजों के इस पद्धति से मुक्ति दिलाने के लिए चम्पारण के एक किसान राज कुमार शुक्ला की आगरा पर गांधीजी चम्पारण आए।
सभी किसानों से मिलकर बातें की, सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर चम्पारण आंदोलन शुरू किया।
Mahatma gandhi जी के अथक प्रयासों पर अंग्रेज सरकार 25 % हिस्सा लौटाने को तैयार हो गई।
खेड़ा आंदोलन या किसान आंदोलन:- गुजरात में कम वर्षा होने के कारण अकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।भूमिकर से संबंधित कानून में एक नियम यह था, कि 25 % से फसल कम हुई है तो लगान माफ कर दिया जाएगा।
लेकिन ब्रिटिश सरकार इसे मानने को तैयार नहीं थी। ऐसी स्थिति में खेड़ा जिला के एक स्थानीय किसान मोहनलाल पांडे ने गांधी जी से मिलकर अपनी समस्या बताई।
महात्मा गांधी जी ने पूरे मामले की जांच कर यह निष्कर्ष निकाला की किसानों की मांग उचित है।
22 मार्च 1918 को गुजरात सभा का नेतृत्व करते समय गांधी जी ने “कर नहीं दो” का आंदोलन चलाया।
गुजरात के सभी जनता ने गांव गांव घूमकर “कर नहीं दो”के नारेे लगान लगे।
इस आंदोलन से भयभीत होकर ब्रिटिश सरकार ने एक गुप्त आदेश जारी कर लगान वसूल करना बंद कर दिया।
इसके पश्चात रौलट एक्ट , असहयोग आंदोलन तथा भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व किया। महात्मा गांधी जी ने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर आखिर कार्य 15 August 1947 को भारत को आजाद करा दिया।
Mahatma gandhiजी की मृत्यु 30 जनवरी 1948 को दिल्ली के बिड़ला भवन में हुई थी और भारत के लोगों के बापू को छीनने वाला शख्स का नाम “नाथूराम गोडसे” था।
जिस दिन महात्मा गांधी की मृत्यु हुई थी उस समय शाम को प्रार्थना के लिए अपनी मीटिंग खत्म करने के बाद जा रहे थे तभी वहां पर नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति आया और उसने गांधी जी के पैर छुए और फिर बैरेटा पिस्तौल से उनके सीने पर तीन गोलियां दाग दी और और गांधी जी की मृत्यु हो गई।