चाणक्य एक प्राचीन भारतीय शिक्षक, दार्शनिक, अर्थशास्त्री, न्यायविद और शाही सलाहकार थे।
इनके अन्य नाम कौटिल्य या विष्णुगुप्त है। इनका जन्म 371 ई.पू. को गोल्ला क्षेत्र में चनाका गाँव तक्षशिला में तथा मृत्यु 283 ई.पू. को पाटलिपुत्र , भारत में हुआ था।
प्राचीन भारतीय राजनीतिक ग्रंथ, लेखक अर्थशास्त्र में इन्हें भारत में राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में अग्रणी माना जाता है। तथा इनके काम को शास्त्रीय अर्थशास्त्र का एक महत्वपूर्ण अग्रदूत माना जाता है।
Chanakya के अनमोल विचार
1. जैसे ही भय आपके करीब आये, उस पर आक्रमण कर उसे नष्ट कर दीजिये।
2. किसी मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबें उतनी ही उपयोगी हैं जितना कि एक अंधे व्यक्ति के लिए आईना।
3. सारस की तरह एक बुद्धिमान व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण रखना चाहिए और अपने उद्देश्य को स्थान की जानकारी, समय और योग्यता के अनुसार प्राप्त करना चाहिए।
4. यदि किसी का स्वभाव अच्छा है तो उसे किसी और गुण की क्या जरूरत है ? यदि आदमी के पास प्रसिद्धि है तो भला उसे और किसी श्रृंगार की क्या आवश्यकता है।
5. सेवक को तब परखें जब वह काम ना कर रहा हो, रिश्तेदार को किसी कठिनाई में, मित्र को संकट में, और पत्नी को घोर विपत्ति में।
6. चाणक्य, कभी भी उनसे मित्रता मत कीजिये जो आपसे कम या ज्यादा प्रतिष्ठा के हों। ऐसी मित्रता कभी आपको ख़ुशी नहीं देगी।
महाभारत के अनमोल विचार हिन्दी में
7. अपमानित हो के जीने से अच्छा मरना है। मृत्यु तो बस एक क्षण का दुःख देती है, लेकिन अपमान हर दिन जीवन में दुःख लाता है।
8. हमें भूत के बारे में पछतावा नहीं करना चाहिए, ना ही भविष्य के बारे में चिंतित होना चाहिए, विवेकवान व्यक्ति हमेशा वर्तमान में जीते हैं।
9. कोई काम शुरू करने से पहले, स्वयं से तीन प्रश्न कीजिये – मैं ये क्यों कर रहा हूँ, इसके परिणाम क्या हो सकते हैं और क्या मैं सफल होऊंगा। और जब गहराई से सोचने पर इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल जायें, तभी आगे बढिएँ।
10. चाणक्य, अगर साँप जहरीला ना भी हो तो उसे खुद को जहरीला दिखाना चाहिए।
11. इस बात को व्यक्त मत होने दीजिये कि आपने क्या करने के लिए सोचा है, बुद्धिमानी से इसे रहस्य बनाये रखिये और इस काम को करने के लिए दृढ रहिये।
12. कोई व्यक्ति अपने कार्यों से महान होता है, अपने जन्म से नहीं।
13. सबसे बड़ा गुरु मन्त्र है। कभी भी अपने राज़ दूसरों को मत बताएँ। ये आपको बर्वाद कर देगा।
14. फूलों की सुगंध केवल वायु की दिशा में फैलती है। लेकिन एक व्यक्ति की अच्छाई हर दिशा में फैलती है।
15. निर्बल राजा को तत्काल संधि करनी चाहिए।
16. चाणक्य, लोहे को लोहे से ही काटना चाहिए।
17. साँप को दूध पिलाने से विष ही बढ़ता है, न की अमृत।
18. कठिन समय के लिए धन की रक्षा करनी चाहिए।
19. जब आप किसी काम की शुरुआत करें, तो असफलता से मत डरें और उस काम को ना छोड़ें। जो लोग ईमानदारी से काम करते हैं वो सबसे प्रसन्न होते हैं।
20. दुर्बल के साथ संधि न करे। ठंडा लोहा लोहे से नहीं जुड़ता।
21. चाणक्य, बलवान से युद्ध करना हाथियों से पैदल सेना को लड़ाने के समान है।
22. शासक को स्वयं योग्य बनकर योग्य प्रशासकों की सहायता से शासन करना चाहिए।
23. ज्ञानी और छल-कपट से रहित शुद्ध मन वाले व्यक्ति को ही मंत्री बनाए।
24. अविनीत व्यक्ति को स्नेही होने पर भी अपनी मंत्रणा में नहीं रखना चाहिए।
25. बुद्धिमानों के शत्रु नहीं होते। शत्रु की निंदा सभा के मध्य नहीं करनी चाहिए।
26. राजसेवा में डरपोक और निकम्मे लोगों का कोई उपयोग नहीं होता।
27. चोर और राजकर्मचारियों से धन की रक्षा करनी चाहिए।
28. श्रेष्ठ व्यक्ति अपने समान ही दूसरों को मानता है।
29. शत्रु की जीविका भी नष्ट नहीं करनी चाहिए।
30. जो माँगता है, उसका कोई गौरव नहीं होता।
31. कठिन कार्य करवा लेने के उपरान्त भी नीच व्यक्ति कार्य करवाने वाले का अपमान ही करता है।
32. महान व्यक्तियों का उपहास नहीं करना चाहिए। कार्य के लक्षण ही सफलता-असफलता के संकेत दे देते है।
33. बिना प्रयत्न किए धन प्राप्ति की इच्छा करना बालू में से तेल निकालने के समान है।
34. अविश्वसनीय लोगों पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
35. अज्ञानी व्यक्ति के कार्य को बहुत अधिक महत्व नहीं देना चाहिए।
36. चाणक्य, ज्ञानियों में भी दोष सुलभ है।
37. नीच व्यक्ति को उपदेश देना ठीक नहीं। नीच लोगों पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
38. ज्ञान ऐश्वर्य का फल है। मुर्ख व्यक्ति दान देने में दुःख का अनुभव करता है।
39. शराबी के हाथ में थमें दूध को भी शराब ही समझा जाता है।
40. मृत्यु भी धर्म पर चलने वाले व्यक्ति की रक्षा करती है। जहाँ पाप होता है, वहाँ धर्म का अपमान होता है।
41. राजा के सेवकों का कठोर होना अधर्म माना जाता है।
42. धनविहीन महान राजा का संसार सम्मान नहीं करता। दरिद्र मनुष्य का जीवन मृत्यु के समान है।
43. चाणक्य, निकम्मे और आलसी व्यक्ति को भूख का कष्ट झेलना पड़ता है।
44. अहंकार से बड़ा मनुष्य का कोई शत्रु नहीं।
45. धनहीन की बुद्धि दिखाई नहीं देती।
46. धूर्त व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए दूसरों की सेवा करते हैं।
47. शराबी व्यक्ति का कोई कार्य पूरा नहीं होता है। कामी पुरुष कोई कार्य नहीं कर सकता।
48. चाणक्य, जैसी आज्ञा हो वैसा ही करें।
49. व्यक्ति के मन में क्या है, यह उसके व्यवहार से प्रकट हो जाता है। ज्ञानी पुरुषों को संसार का भय नहीं होता।
50. जहाँ सुख से रहा जा सके, वही स्थान श्रेष्ठ है।
चाणक्य के अनमोल विचार part – 2