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Rabindranath Tagore, विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक थे।
जिन्हें गुरूदेव कहकर भी पुकारा जाता था। इनका जन्म 7 May 1861 को तथा मृत्यु 7 August 1941 को हुआ था।
रविन्द्रनाथ टैगोर के महान अनमोल विचार
1. जो कुछ हमारा है वो हम तक आता है। यदि हम उसे ग्रहण करने की क्षमता रखते हैं।
2. Rabindranath Tagore, आस्था वो पक्षी है जो सुबह अँधेरा होने पर भी उजाले को महसूस करती है।
3. वो जो अच्छाई करने में बहुत ज्यादा व्यस्त है, स्वयं अच्छा होने के लिए समय नहीं निकाल पाता।
4. मैं सोया और स्वप्न देखा कि जीवन आनंद है। मैं जागा और देखा कि जीवन सेवा है। मैंने सेवा की और पाया कि सेवा आनंद है।
5. यदि आप सभी गलतियों के लिए दरवाजे बंद कर देंगे तो सच बाहर रह जायेगा।
6. आपकी मूर्ती का टूट कर धूल में मिल जाना इस बात को साबित करता है कि ईश्वर की धूल आपकी मूर्ती से महान है।
7. Rabindranath Tagore, सिर्फ खड़े होकर पानी देखने से आप नदी नहीं पार कर सकते।
8. हम महानता के सबसे करीब तब होते हैं जब हम विनम्रता में महान होते हैं।
9. बर्तन में रखा पानी चमकता है। समुद्र का पानी अस्पष्ट होता है। लघु सत्य स्पष्ठ शब्दों से बताया जा सकता है, महान सत्य मौन रहता है।
10. सिर्फ तर्क करने वाला दिमाग एक ऐसे चाक़ू की तरह है जिसमे सिर्फ ब्लेड है। यह इसका प्रयोग करने वाले के हाथ से खून निकाल देता है।
11. कट्टरता सच को उन हाथों में सुरक्षित रखने की कोशिश करती है जो उसे मारना चाहते हैं।
12. Rabindranath Tagore, आयु सोचती है, जवानी करती है।
13. हर बच्चा इसी सन्देश के साथ आता है कि भगवान अभी तक मनुष्यों से हतोत्साहित नहीं हुआ है।
14. हर एक कठिनाई जिससे आप मुंह मोड़ लेते हैं, एक भूत बन कर आपकी नींद में बाधा डालेगी।
15. कला में व्यक्ति खुद को उजागर करता है कलाकृति को नहीं।
16. Rabindranath Tagore, जीवन हमें दिया गया है, हम इसे देकर कमाते हैं।
17. मुखर होना आसान है जब आप पूर्ण सत्य बोलने की प्रतीक्षा नहीं करते।
18. हम तब स्वतंत्र होते हैं जब हम पूरी कीमत चुका देते हैं।
19. पंखुडियाँ तोड़ कर आप फूल की खूबसूरती नहीं इकठ्ठा करते।
20. Rabindranath Tagore, मौत प्रकाश को ख़त्म करना नहीं है। ये सिर्फ दीपक को बुझाना है क्योंकि सुबह हो गयी है।
21. किसी बच्चे की शिक्षा अपने ज्ञान तक सीमित मत रखिये, क्योंकि वह किसी और समय में पैदा हुआ है।
22. तथ्य कई हैं पर सत्य एक है।
23. मंदिर की गंभीर उदासी से बाहर भागकर बच्चे धूल में बैठते हैं, भगवान् उन्हें खेलता देखते हैं और पुजारी को भूल जाते हैं।
24. देश का जो आत्माभिमान हमारी शक्ति को आगे बढ़ाता है, वह प्रशंसनीय है। पर जो आत्माभिमान हमें पीछे खींचता है, वह सिर्फ खूंटे से बांधता है, यह धिक्कारनीय है।
25. जो आत्मा शरीर में रहती है, वही ईश्वर है और चेतना रूप से विवेक के द्वारा सब शरीरों का काम चलाती है। लोग उस अन्तर्देव को भूल जाते हैं और दौड़-दौड़ कर तीर्थों में जाते हैं।
26. Rabindranath Tagore, ये पेड़ धरती द्वारा स्वर्ग से बोलने की कोशिश है।
27. हम ये प्रार्थना ना करें कि हमारे ऊपर खतरे न आयें, बल्कि ये करें कि हम उनका सामना करने में निडर रहे।
28. जब मैं खुद पर हँसता हूँ तो मेरे ऊपर से मेरा बोझ कम हो जाता है।
29. हम दुनिया में तब जीते हैं जब हम उसे प्रेम करते हैं।
30. जिनके स्वामित्व बहुत होता है उनके पास डरने को बहुत कुछ होता है।