रासीपुरम कृष्णस्वामी लक्ष्मण ( R K Laxman ), भारत के प्रमुख हास्यरस लेखक और व्यंग-चित्रकार थे।
इनका जन्म 24 October 1921 को तथा मृत्यु 26 January 2015 को हुआ था।
Contents
R K Laxman के महान अनमोल विचार
1. मुझे याद नहीं कि मैंने ड्रा करने के आलावा कभी कुछ और चाहा है।
2. R K Laxman, कार्टूनिंग, अपमान और उपहास करने की कला है।
3. कौवे दिखने में इतने अच्छे और बुद्धिमान होते हैं। राजनीति में मुझे ऐसे चरित्र कहाँ मिलेंगे?
4. एक बच्चे को, वास्तविकता कल्पना से कहीं अधिक शानदार लगती है।
5. R K Laxman, मैं हमारे नेताओं का आभारी हूँ। उन्होंने देश का नहीं बल्कि मेरा ध्यान रखा है।
6. भारत का आम आदमी भोजन, प्रकाश, हवा, आश्रय के बिना जीवित रह सकता है।
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7. एक कार्टूनिस्ट को एक महान आदमी में नहीं एक हास्यास्पद आदमी में आनंद मिलता है।
8. बदलाव? क्या आकाश का रंग कभी बदलता है? मेरा प्रतीक कभी नहीं बदलेगा।
9. मुझे लगता है जब हमारे शक्तिशाली राजनेताओं को मजाकिया और उटपटांग तरीके से दिखाया जाता है तब सबको मजा आता है।
10. मेरी स्केच, पेन – तलवार नहीं, वो मेरी मित्र है।
11. R K Laxman, नए विचारों की खोज करना एक अंतहीन प्रक्रिया है।
12. जो अंग्रेज भारत आये उन्होंने इंडियन ह्यूमर को मिस किया क्योंकि वे हमारा घरेलु सेंस ऑफ़ ह्यूमर नहीं समझ पाये। उन्होंने सोचा कि भारतीयों में कोई सेंस ऑफ़ ह्यूमर नहीं है।
13. सच कहूँ तो, हमारी राजनीति इतनी दुखद है कि अगर मैं एक कार्टूनिस्ट नहीं होता तो मैं आत्महत्या कर चुका होता।
14. ये बताना असंभव है कि एक कार्टूनिस्ट कैसे बनें? आपको इस उपहार के साथ पैदा होना होता है, ठीक वैसे ही जैसे आप किसी को ये नहीं बता सकते कि कैसे गाएं?
15. कार्टूनिंग और ड्राइंग के लिए भारत जैसा कुछ भी नहीं!
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16. मेरा आम, आदमी सर्वत्र है। वो इन 50 सालों में चुप रहा है। वो बस सुनता है।
17. कार्टून में अवलोकन, सेंस ऑफ़ ह्यूमर, उपहास्यता और विरोधाभास होता है – जीवन!
18. R K Laxman, मेरी हर एक ड्राइंग मेरी फेवरेट है।
19. आमतौर पे, लोग हर चीज हलके में ले लेते हैं। वे मुश्किल से अपने आस – पास कुछ देख पाते हैं।
20. मैं ये नहीं भूला हूँ कि तुम रंगीन कांच के टुकड़ों के माध्यम से दुनिया देख सकते हो।
21. मुझे लगता है अराजकता हमारे लिए बेहतर होती।