एक राजा था वह बहुत ही घमंडी था। उसे जब भी कोई मंत्री उसका विरोध करता था। तो उसे मंत्री को मंत्री पद से हटा देता था। एक समय की बात हैं राज दरबार लगा हुआ था। बात हो रही थी कि राजा को कभी भी अकेले शिकार पर नहीं जाना चाहिए।
Ek ghamandi raja ki kahani | बच्चों के लिए कहानी
इस बात पर राजा को गुस्सा आ गया और अपने अहंकार में वह राजा एक दिन अकेले ही जंगल की तरफ शिकार के लिए निकल पड़ा।
शिकार की तलाश में वह जंगल के मार्ग से भटक गया। और सही मार्ग खोजने लगा। खोजते-खोजते उसे एक दूर झोपड़ी दिखा। राजा उस झोपड़ी के पास गया। वह झोपड़ी एक साधु का था। साधु महराज से सही मार्ग पुछा।
साधु महाराज त्रिकालदर्शी थे। वे जानते थे कि राजा बहुत घमंडी इंसान हैं। इसलिए साधु महराज ने सोचा क्यों न इसे घमंडी इंसान से अच्छा इंसान बनाया जाय।
इसलिए राजा से साधु ने कहा कि आप अपना राज्य छोड़कर अपने दुश्मन के राज्य में प्रवेश कर गये हैं।
इतना सुनते ही राजा के होश उड़ गये। और सोचने लगा कि मैं अकेले ही शिकार के लिए क्यों निकला? मैं अपने सैनिकों और मंत्रियों के साथ क्यों नहीं निकला?
एक घमंडी राजा की कहानी हिन्दी में
अब तो मैं अपने राज्य से बाहर निकल गया हूँ। और पहुँचा भी तो अपने दुश्मन राजा के राज्य में। ये राजा तो कब से मुझे बंदी बनाने के बारे में सोच रहा था। और बड़ी आसानी से मैं अपने घमंड के कारण अपने राज्य से शिकार के लिए निकल पड़ा और दुश्मन राजा काम आसान कर दिया।
राजा बार-बार अपना सर पीट रहा था। हार-पीट कर राजा ने साधु महराज से किसी तरह अपने राज्य में प्रवेश करने का मार्ग पुछने लगा।
वह अपनी गलती साधु संत को बताने लगा कि मैं अपने मंत्रियो की बात नहीं मानी। और अनजान जंगलों में शिकार के लिए निकल पड़ा।
वह कहने लगा कि मैं अब हमेंशा अपने मंत्रियों की बात मानूंगा और हर जगह अपनी मनमानी नहीं करूंगा।
बच्चों के लिए कहानी हिन्दी में
जब साधु महराज को यकीन हो गया कि राजा अब से कोई भी गलत कार्य नहीं करेंगा। तो उन्हें सारी बात बता दी। कि आप अपने ही राज्य के सीमा में हैं। मैं आपको एक अच्छा राजा बनाने के लिए ऐसा कहा था।
इतना सुनते ही राजा ने साधु महराज के पैर पकड़ लिया। और माफी मांगने लगा।
तो हमें इस कहानी से शिक्षा मिलती हैं कि हमें कोई भी काम करने से पहले उसके बारे में अच्छे से जान लेना चाहिए।